Thursday, November 15, 2018

वक़्त की तो फ़ितरत है...




वक़्त की तो फ़ितरत है
बदलने की बदल गया
तुम क्यों बदल गई बेवज़ह...




फ़ुर्सत मिली भी तो तेरी याद चली आई

अब रात गुज़रेगी तुझे याद करते-करते..

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