Short Stories

नदी का बहाव

शाम ढलने को थी ऑफिस से निकलने का समय नज़दीक था. रवि बेचैन सा बैठा घड़ी की तरफ एक टक देख रहा था, मानो समय के उस पार कोई उसका इंतज़ार कर रहा हो। तभी रमाकांत ऑफिस बॉय ने उसके मेज़ पर एक फाइल पटक दी और कहा साहेब ने कहा है इसकी ऑडिट कर के जाना कल मीटिंग है डायरेक्टर्स की रवि ने ऑफिस बॉय से एक कप चाय लाने को कहा तथा फाइल उठा कर काम पर लग गया उसने जल्दी-जल्दी अंकों का मिलाप और ऑडिट शुरू कर दी एक हाथ से कैलकुलेटर चलाता होआ शताब्दी-एक्सप्रेस की रफ़्तार से पन्ने पलटने लगा इतने में ऑफिस बॉय ने चाय मेज़ पर रखी और पूछने लगा साहेब बड़ी जल्दी काम कर रहे हो मानो कोई ट्रेन छोट जाएगी आपकी, रवि रमाकांत तुझे क्या बताओं कुछ ऐसी ही बात है मगर बॉस को छुट्टी के वक़्त काम याद आता है अभी काम ख़तम करने दे जरा बातें बाद में कर लूँगा। रवि काम ख़तम कर ऑफिस से अपना बैग लिए भागा ऑफिस से मानो स्कूल की बेल बजते ही बच्चे भागते है जैसे ही बस स्टैंड में पहुंचा उसका सारा उत्साह ख़तम हो गया वो अपना मुह लटकाए बस पकड कर घर पहुंचा.

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