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Sunday, April 23, 2017
उमीदों का नशा
उमीदों का नशा
वो तो मैं बहकता नही उम्मीदों के नशे में,
वरना बर्बादी का मंजर कुछ ओर होता।
#
Juswanasay
#
अजय
1 comment:
anonymous
April 24, 2017 at 10:31 AM
क्या बात है वाह बर्बादी का मंजर कुछ और होता वाह।
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क्या बात है वाह बर्बादी का मंजर कुछ और होता वाह।
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