Saturday, April 29, 2017

फ़िलहाल हवायें


फ़िलहाल हवायें

फ़िलहाल हवायें तेज़ हैं ज़रा थमने दो हम भी बड़ी शोक से अपनी बर्बादी का मंज़र देखेंगे
कैसे जली हसरतों की इमारत हम भी अपनी जला कर देखेंगे ..

Tuesday, April 25, 2017

उमीदों का शहर

 उम्मीदो का शहर 


हमने सपने को टूटते देखा है अक्सर उम्मीदो के शहर में....

Sunday, April 23, 2017

याद है वो दिन


याद है वो दिन


जब हम तुम पहली बार मिले थे तुम सादगी से भरी कुँवें के पास खड़ी थी और में पानी पीते होए एक टक तुम्हें निहारता रहा था ।

उमीदों का नशा





उमीदों का नशा



वो तो मैं बहकता नही उम्मीदों के नशे में,

वरना बर्बादी का मंजर कुछ ओर होता।

लवजों के चोर



लवजों के  चोर


देखो इस  दुनिया में बड़े चोर हैं,
 लोग वक़्त की लकीरों से शब्द चुरा  लेते हैं।

वक़्त और मैं



 वक़्त और मैं


वक़्त पर मेरी नज़र कायम है,
पर कम्बख्त बदल जाता है पल पल। 

लाउडस्पीकर का धर्म



लाउडस्पीकर का धर्म 



तुम जोर से अज़ान पड़ो और हम किर्तन करें

हर नुकड़ हर चौक में कुछ लाउडस्पीकर फिट करें

परिंदे और इंसान

परिंदे और इंसान



परिंदों को तो रोज़ गिरे होए ही दाने खाने थे ,
मगर तुम क्यों इतना गिर गए ,
तुम्हें तो मेहनत और ईमानदारी से कमा कर खाने थे...